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संसार इन्हें कई नामों से जानता है यथा डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली, परमहंस
स्वामी निखिलेश्वरानंद, तन्त्र शिरोमणि, मंत्र शिरोमणि, समाज शिरोमणि, महा
महोपाध्याय इत्यादि | किन्तु मुझे तो मात्र एक ही नाम स्मरण रहता है -
गुरूजी, मेरे प्रिय गुरूजी 
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♫ II ॐ परम
तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:II 

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो
महेश्वरः II 

गुरुः साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमःII 
अखण्ड
मंडलाकार व्याप्तं येन चराचरम
II

 तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरुवे नमःII
परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी 
तुम्हे अपने जीवन मे रुकना नही है, तुम्हे अपने जीवन मे एक क्षण भी विचार नही करना है, कि तुम्हारा जीवन बहुत थोडा सा बच गया है और पगडंडी बहुत लंबी है। हिमालय से पुरी समुद्र तक की यात्रा, जीवन मे धीरे-धीरे चलने से समुद्र नही मिल सकेगा क्योंकि नदी धीरे धीरे चलेगी तो बीच मे सुख जायेगी। तुम्हारे मेरे बीच में बहुत कम फासला रह गया है और मेरे पास बहुत कम समय रह गया है इसलिए हम उस फासले को कितना जल्दी पार कर लें, यह तुम पर निर्भर है।

GIVE ME FAITH AND DEVOTION, AND I WILL GIVE YOU FULFILLMENT & COMPLETENESS

बुधि भाषा की प्रखरता को समझती है भाषा जेसी होगी, बुधि भी वेसी होगी " हिरेन्द्र प्रताप सिंह
यदि सत्य को नहीं जाना तो केवल अहंकार की ही उत्पत्ति होगी जिस
से बुद्धिमान भी मुर्ख जेसा हो जाता है और उस का पतन हो जाता है  by hp singh

thought of day 
guys....................
Success is not final, failure is not fatal: it is the courage to continue that counts,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,........

...jo beet gya wo sapna hai, aane wala kal apna

Har Koi jo keh sake ye wo ehsas nahi

Pyaar karte hain apse iska aur koi naam nahi

Mumkin hai baatein hamari alag ho zamane se

Khayal apka hai unme is baat se hame inkaar nahi